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Shloka: | कृपया परयाविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत्। दृष्ट्वेमान्स्वजनान्कृष्ण युयुत्सून्समवस्थितान्॥ |
Bhagavad Gita Reference: | 1.28 |
Mahabharata Reference: | 6023028 |
Hindi Trnaslation: | अत्यन्त विषाद व करुणा से युक्त होकर कुन्तीपुत्र अर्जुन शोकमग्न होकर यह बोले - हे भगवन् कृष्ण ! युद्ध की इच्छा से इस युद्धक्षेत्र में विद्द्यमान अपने परिवार वालों, बन्धु-बान्धवों के समूह को देखकर- ॥२८॥ |
Sandhi-split Shloka: | कृपया परयाविष्टः विषीदन् इदम् अब्रवीत् .ष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम् . |
Anvayakrama: | कृपया आविष्टःविषीदन् इदम् अब्रवीत् दृष्ट्वा इमम् स्वजनम् कृष्ण युयुत्सुम् समुपस्थितम्॥ |
Bhagavad Gita Tagged Shloka: | कृपया/NP परयाविष्टः/NV विषीदत्/KNV इदम्/SN अब्रवीत्/KP दृष्ट्वा/KKS इमं/SNV स्वजनं/NP कृष्ण/NS युयुत्सुं/KKS समुपस्थितम्/KNV ॥/PUNC 1.28/PUNC ॥/PUNC Tagging scheme used |